जशपुर: आज ही के दिन रायगढ़ से अलग होकर नया जिला बना था जशपुर ” जानिए आज तक क्या कुछ बदला, कितना पहचान पाया अपना जशपुर….. पढ़िए विस्तार से

जशपुरनगर. एक समय था जब जशपुर सिर्फ नक्शे पर एक नाम था, आज ये नाम बन चुका है मेहनत, आत्मनिर्भरता और बदलाव का प्रतीक। अगला पड़ाव होगा स्मार्ट जशपुर, जिसमें तकनीक और तरक्की साथ-साथ चलेंगी।

एक सार्वजनिक समारोह में जिले के प्रभारी मंत्री श्री चेनेश राम रथिया ने औपचारिक रूप से घोषणा की जशपुर जिला का निर्माण आज से 27 साल पहले 25 मई 1998 को, श्री नारायणन शुक्ला ने इस नए गठित जिले के कलेक्टर का पदभार संभाला था , तब ये एक पिछड़ा इलाका माना जाता था, लेकिन आज जशपुर विकास की उन सीढ़ियों पर खड़ा है, जहां से आगे सिर्फ उम्मीदें हैं।

गांव-गांव तक पहुंची बिजली, सड़कें बनीं जिंदगी की राह

जिले के गठन के बाद सबसे बड़ा बदलाव आया बुनियादी ढांचे में। गांवों तक बिजली पहुंची, टिन की छतों पर पंखा चलने लगा। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से हजारों किलोमीटर सड़कें बनीं, जो गांवों को शहरों से जोड़ने लगीं।

स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरी, अब इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता

पहले साधारण इलाज के लिए भी लोगों को रायगढ़ या रांची जाना पड़ता था। अब जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी और पीएचसी तक सुविधाएं बढ़ीं। प्रसव और इमरजेंसी सेवाएं बेहतर हुईं। मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी आई।

बच्चों ने बढ़ाया जिले का मान, बोर्ड परीक्षा में टॉप-10 में शामिल

जिले के छात्र अब राज्य स्तर पर पहचान बना रहे हैं। हाल ही में घोषित बोर्ड परीक्षा परिणामों में कई छात्र टॉप-10 में शामिल हुए। डिजिटल शिक्षा, मॉडल स्कूल और सरकारी योजनाओं का असर साफ दिख रहा है।

मधेश्वर महादेव बना आस्था का केंद्र, देशभर से आ रहे श्रद्धालु

मायली में स्थित मधेश्वर महादेव अब सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं रहा, बल्कि पर्यटन का हॉटस्पॉट बन गया है। शिवरात्रि और सावन में हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। आसपास के जलप्रपात और प्राकृतिक नजारे भी सैलानियों को खींच रहे हैं।

महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर, रोजगार में बढ़ी भागीदारी

स्व-सहायता समूहों से जुड़कर महिलाओं ने ना सिर्फ परिवार की जिम्मेदारी संभाली, बल्कि रोजगार और छोटे उद्योगों की दिशा में कदम बढ़ाए। बाड़ी योजना, मुर्गीपालन और सिलाई जैसे कार्यों से महिलाएं अब कमाऊ बन चुकी हैं।

27 साल में बदली तस्वीर, अब नजर है भविष्य पर

जशपुर ने 27 साल में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। अब नजर है आने वाले 10 सालों पर, जहां लक्ष्य है- डिजिटल गांव, हर हाथ को काम, और हर घर तक बेहतर सुविधाएं पहुंचाना।

जशपुर की चाय ने दिलाई देश में पहचान

पहाड़ों और हरियाली के बीच बसे जशपुर के चाय बागान अब देशभर में चर्चा का विषय बन चुके हैं। यहां की चाय अब मेट्रो सिटीज़ की दुकानों तक पहुंच रही है। इससे युवाओं को रोजगार भी मिला और जिले को एक नई पहचान।

Please Share With Your Friends Also

संवाद छत्तीसगढ़ न्यूज़ पोर्टल बदलते भारत की सबसे विश्वसनीय न्यूज़ पोर्टल है। सबसे सटिक और सबसे तेज समाचार का अपडेट पाने के लिए जुडिए हमारे साथ" टीम :- Samvad Chhattisgarh

Leave a comment