कांग्रेस में बड़ा संगठनात्मक फेरबदल: वरिष्ठ नेताओं को नई जिम्मेदारियाँ, चुनावी तैयारियों को मिलेगी मजबूती…

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने संगठनात्मक ढांचे में बड़े बदलाव करते हुए कई राज्यों में नए प्रभारी नियुक्त किए हैं और कुछ वरिष्ठ नेताओं को नई भूमिकाएँ दी हैं। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में यह बदलाव आगामी लोकसभा चुनाव और राज्यों के विधानसभा चुनावों की रणनीति को मजबूत करने के लिए किया गया है।

इस फेरबदल में जहां कुछ अनुभवी नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ दी गई हैं, वहीं कुछ वरिष्ठ नेताओं को उनके पदों से हटाया भी गया है। यह कदम पार्टी में नए नेतृत्व को उभारने और संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूती देने के लिए उठाया गया है।

मुख्य नियुक्तियाँ :

▶ भूपेश बघेल – छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री को पार्टी महासचिव बनाकर पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया गया है। बघेल का अनुभव और जमीनी पकड़ पंजाब में कांग्रेस की स्थिति मजबूत कर सकती है।

▶ डॉ. सैयद नसीर हुसैन – राज्यसभा सांसद को महासचिव बनाकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की जिम्मेदारी दी गई है। यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से संवेदनशील है, जहां कांग्रेस को अपनी पकड़ मजबूत करने की जरूरत है।

रजनी पाटिल – हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ की प्रभारी नियुक्त।
बी.के. हरिप्रसाद – हरियाणा के प्रभारी नियुक्त।
हरीश चौधरी – मध्य प्रदेश के प्रभारी नियुक्त।
अजय कुमार लल्लू – ओडिशा के प्रभारी नियुक्त।
गिरीश चोडनकर – तमिलनाडु और पुडुचेरी के प्रभारी नियुक्त।
के. राजू – झारखंड के प्रभारी नियुक्त।
मीनाक्षी नटराजन – तेलंगाना की प्रभारी नियुक्त।
सप्तगिरि शंकर उल्का – मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और नागालैंड के प्रभारी नियुक्त।
कृष्णा अल्लावरु – बिहार के प्रभारी नियुक्त।



इन नेताओं को किया गया मुक्त :
कांग्रेस ने कुछ वरिष्ठ नेताओं को उनके प्रभार से हटाते हुए संगठन में नए बदलाव किए हैं। हटाए गए नेताओं की सूची इस प्रकार है:

दीपक बावरिया

मोहन प्रकाश

* भरतसिंह सोलंकी

* राजीव शुक्ला

* डॉ. अजय कुमार

* देवेंद्र यादव

*राजनीतिक रणनीति और संभावित असर :*
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस का यह संगठनात्मक बदलाव आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है। इस फेरबदल का उद्देश्य राज्यों में पार्टी को मजबूत करना और नए नेतृत्व को आगे बढ़ाने का अवसर देना है।

पंजाब में भूपेश बघेल की नियुक्ति: उनकी आक्रामक चुनावी रणनीति और जमीनी पकड़ को देखते हुए कांग्रेस को इससे फायदा होने की उम्मीद है।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सैयद नसीर हुसैन: इस क्षेत्र में कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है, और यह जिम्मेदारी हुसैन को सौंपना इस रणनीति का हिस्सा है।

युवा और अनुभवी नेताओं का संतुलन: कांग्रेस ने इस बार नई ऊर्जा और अनुभवी नेतृत्व का सही मिश्रण तैयार करने की कोशिश की है, जिससे राज्य स्तर पर संगठन को मजबूती मिलेगी।

नए प्रभारी राज्यों में संगठन को सक्रिय करेंगे: पार्टी के नए नियुक्त नेता जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने, चुनावी रणनीति बनाने और पार्टी की विचारधारा को प्रभावी रूप से प्रचारित करने का काम करेंगे।

कांग्रेस की चुनावी तैयारी को मिलेगी गति :
यह फेरबदल कांग्रेस के लिए विभिन्न राज्यों के चुनावों की तैयारी का हिस्सा है। पार्टी ने इस बार युवा नेतृत्व को भी मौका दिया है, जिससे संगठन को एक नई दिशा मिलेगी।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन बदलावों का कांग्रेस के चुनावी प्रदर्शन पर कितना प्रभाव पड़ता है और क्या पार्टी इस नई रणनीति से अपनी स्थिति को मजबूत कर पाती है।

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